प्रतिष्ठा क्या है ?

दोस्तों आज हर कोई सफल होना चाहता है। और हर कोई चाहता है। कि कोई उनसे अच्छे से बात करे और उन्हें भी सम्मान दे। आज, हर क्षेत्र में काम करने वाला हर व्यक्ति प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि, नाम चाहता है, चाहे वह कार्य क्षेत्र शिक्षा, विज्ञान, राजनीति, समाज, नौकरी-व्यवसाय हो या चाहे वह सेवा या आध्यात्मिक क्षेत्र हो, प्रतिष्ठा पाने के तरीके व्यक्ति से व्यक्ति और प्रसिद्धि से भिन्न होते हैं। या प्रतिष्ठा की परिभाषा भी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकती है। प्रतिष्ठा प्राप्त होती है,  लेकिन इसे बनाए रखना, संरक्षित करना और पचाना भी बहुत मुश्किल है।

चरित्र का अर्थ ‘आप क्या हैं’ और प्रतिष्ठा का अर्थ, ‘लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं।’ हालांकि यदि आप अपने चरित्र का ध्यान रखेंगे तो आपकी प्रतिष्ठा अपने आप ही बन जाएगी। चरित्र स्वयं व्यक्ति है और प्रतिष्ठा उसकी छाया है। हर बार आप छाया को पकड़ते हैं। जब व्यक्ति आपके पास आता है तो आप छाया को छोड़ देते हैं। चरित्र ही कारण है और प्रतिष्ठा उसका असर है।

चरित्र से ही प्रतिष्ठा का जन्म होता है। जो  प्रतिष्ठा बिना चरित्र के बनती है, उसको बनाए रखने के लिए न केवल खास  परिश्रम करना पड़ता है, वरना  उसके खराब हालात में प्रभावित होने की चिंता रहती है। कई आध्यात्मिक गुरु,  जो कभी भगवान माने जाते हैं,  समय आने पर उनकी गति खराब हो जाती है और उनको अपराधी माना जाने लगता है। इसीलिए चरित्र की नींव के बिना तैयार प्रतिष्ठा इसी तरह से धूमिल हो जाती है। प्रेमचंद ने कहा है की, प्रतिष्ठा पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है जबकि कलंक तात्कालिक लगता  है।

प्रतिष्ठा पाने के लिए दूसरों की मेहनत पर भरोसा न करें। रामकृष्ण परमहंस कहते हैं – वह जो अपने कर्मों से अपना नाम बनाता है, वह सबसे अच्छा इंसान होता है। पारकी आश सदा  निराश करती हैं।

कोई क्या सोचेगा या कोई क्या कहेगा, हमेशा आपको खुद के करीब लाने से रोकते हैं। सुजीकी  होंडा ने कई विफलताओं के बाद दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी  होंडा ऐसे ही नहीं बनाई है। यदि वे यही सोचते कि लोग उनकी विफलता के बारे  में क्या सोचेंगे तो वे कभी आगे नहीं बढ़ सकते थे। या तो आप कुछ काम करेंगे  या फिर निष्क्रिय होकर बैठे रहेंगे। सिलवेस्टर स्टेलॉन को जब पहली सफलता मिली थी, उसके पहले हॉलीवुड के कोई 100 एजेंट उनको रिजेक्ट कर चुके थे। यदि वे यही सोचते कि कई लोग मुझे रिजेक्ट कर चुके हैं और मैं अच्छा नहीं हूं तो  हमें कभी रॉकी या रैनबो  देखने को नहीं मिलती। इसी प्रकार से अरनॉल्ड से कह दिया गया था कि आपको  बोलना नहीं आता है। यदि वे यही सोचते तो कभी कमांडो  या टर्मिनेटर देखने को नहीं मिलती और वे कभी सफल नहीं होते। वे क्या सोचते हैं,  उन्होंने उसी पर गौर किया। उनको अपनी खासियत पता थी और वे काम करते  गए। उन्होंने अपने चरित्र की नींव रखी और इसी से प्रतिष्ठा उनके पास आई।

यदि आप चाहते हैं कि आप जिस बात के लिए खड़े हैं,  उसके मुकाबले भीड़ में आपकी पहचान अलग से हो तो मान लीजिए कि शांति आपको मिल जाएगी। लेकिन यदि आपने यह सोचा कि हर व्यक्ति आपसे खुश हो तो फिर आप शांति से कभी नहीं रह सकेंगे। दुनिया आपके बारे में क्या सोचती है, यह सोचना आपका काम नहीं है। आप सिर्फ अपना काम करते रहें, दुनिया को चुप करने से निष्कर्ष सामने आते हैं। इसलिए  बेहतर है अपने जीवन की चाबी अपने हाथ में रखें।

शेक्सपियर कहते हैं – “एक नाम में क्या है?” किसी भी नाम से गुलाब को बुलाओ, उसकी खुशबू आएगी ही. अखबारों में चमकते हैं, वह खुद अपने अच्छे कामों का ढोल बजाता है। उसे इस बात का एहसास नहीं है कि उसके अच्छे कामों के बारे में बात करने से अक्सर उसके काम धुल जाते हैं। प्रतिष्ठा पाने के बाद मनुष्य की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। मनुष्य को अच्छे कामों में तल्लीन होने की जरूरत है ताकि उसकी प्रतिष्ठा न धुल जाए। जैसा कि बाकी वशिष्ठ मुनि कहते हैं – ‘जिसकी प्रतिष्ठा नष्ट हो जाती है, उसका जीवन भी नष्ट हो जाता है।’

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