हमारे समय में प्रेम

आज वैलेंटाइन डे (Valentine’s Day) है. प्रेम और उसके इजहार का दिन. लेकिन क्या प्रेम सिर्फ प्रेमी और प्रेमिका तक सीमित है? या प्रेम इससे कुछ बड़ी चीज़ है!

आज जब बाजार ने प्रेम को भी खरीद-बिक्री की चीज़ बना दिया है और प्रेम का मतलब महँगी से महँगी गिफ्ट देना बताया जा रहा है, उस समय क्या मान लिया जाए कि प्रेम पर सिर्फ अमीरों का अधिकार है?

एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, वैलेंटाइन डे पर होनेवाला कुल कारोबार 12000 हजार करोड़ रूपये तक पहुंच गया है, तब हम प्रेम को कैसे देखें?

दूसरी ओर, प्रेम पर पहरे बढ़ते जा रहे हैं. परंपरा और संस्कृति के भगवा ठेकेदार प्रेम को बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं हैं. नौजवान लड़के-लडकियों का मिलना-जुलना उन्हें संस्कृति पर हमले की तरह दिखाई देता है. खासकर, प्रेम में स्त्री की आज़ादी उन्हें हरगिज मंजूर नहीं है. खाप पंचायतें प्रेमी-प्रेमिकाओं को सरेआम क़त्ल कर रही हैं.

लेकिन इस दोहरे हमले के बीच भी प्रेम जीवित है. सिर्फ प्रेमीप्रेमिका के प्रेम में ही नहीं बल्कि अपने सभी रूपों में.

लेकिन क्या हम सचमुच, प्रेम का अर्थ समझते हैं? आखिर प्रेम है क्या? मुझे एरिक फ्राम की किताब ‘प्रेम का वास्तविक अर्थ’ याद आ रही है. उसका एक छोटा सा हिस्सा आप सभी के लिए पेश है:

“प्रेम किसी एक व्यक्ति के साथ संबंधों का नाम नहीं है. यह एक ‘दृष्टिकोण’ है, एक ‘चारित्रिक रुझान’ है- जो व्यक्ति और दुनिया के संबंधों को अभिव्यक्त करता है, न कि प्रेम के सिर्फ एक ‘लक्ष्य’ के साथ उसके संबंधों को. अगर एक व्यक्ति सिर्फ दूसरे व्यक्ति से प्रेम करता है और अन्य सभी व्यक्तियों में उसकी जरा भी रूचि नहीं है – तो उसका प्रेम, प्रेम न होकर मात्र एक समजैविक जुडाव भर है, उसके अहम का विस्तार भर है.

फिर भी ज्यादातर लोग यही समझते हैं कि प्रेम एक ‘लक्ष्य’ होता है, एक व्यक्ति, न कि एक ‘क्षमता’. बल्कि वे तो यह समझने की भूल भी कर बैठते हैं कि अगर वे सिर्फ अपने प्रेमी या प्रेमिका से ही प्रेम करते हैं तो यह उनके प्रेम की गहराई का प्रतीक है. इसका मतलब है कि वे प्रेम को एक ‘गतिविधि’ के रूप में देखते हैं न कि ‘आत्मा की एक शक्ति’ के रूप में. उन्हें लगता है कि एक प्रेमी या प्रेमिका को पा लेने का अर्थ है ‘प्रेम’ को पा लेना.

यह बिल्कुल ऐसी ही बात है जैसे कोई व्यक्ति चित्रकारी करना चाहता हो और समझे कि उसे सिर्फ एक प्रेरक विषय की जरूरत है, उसके बाद वह खुद-ब-खुद बहुत बढ़िया चित्रकारी कर लेगा. अगर मैं किसी एक व्यक्ति से सचमुच प्रेम करता हूँ, किसी से आई लव यू कहने का सच्चा अर्थ है कि मैं उसके माध्यम से पूरी दुनिया और जिंदगी से प्रेम करता हूँ.”

मैं अब विदा लेता हूँ

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